नानक सागर डैम: एक छिपा हुआ रत्न: उत्तराखंड की अनदेखी खूबसूरती

 नमस्ते दोस्तों! मैं हूं PURAN, आपका पसंदीदा व्लॉगर, जो हमेशा नई और अनोखी जगहों की तलाश में रहता है। अगर आप शहर की भीड़-भाड़ से दूर, प्रकृति की गोद में सुकून और आध्यात्मिक शांति की तलाश में हैं, तो आज मैं आपको ले चलता हूं उत्तराखंड के एक ऐसे हिडन जेम की सैर पर, जो आपका दिल जीत लेगा - नानक सागर डैम। ये खूबसूरत डैम उदहम सिंह नगर जिले के नानकमत्ता कस्बे में बसा है। इस आर्टिकल में मैं आपको डिटेल में बताऊंगा कि ये जगह कहां है, इसका इतिहास क्या है, ये कैसे और कब बना, लोग यहां घूमने कहां-कहां से आते हैं, और क्या-क्या कर सकते हैं। तो अपनी कॉफी की चुस्की लें, और चलिए शुरू करते हैं इस शानदार सफर को! साथ ही, आखिर में मैं आपको कुछ ऐसे टिप्स और कॉल-टू-एक्शन दूंगा, जो आपकी ट्रिप को और मजेदार बनाएंगे।


नानक सागर डैम कहां पड़ता है? लोकेशन और कैसे पहुंचें

नानक सागर डैम उत्तराखंड के उदहम सिंह नगर जिले में नानकमत्ता टाउन में स्थित है। ये जगह तराई क्षेत्र में बसी है, जो अपनी हरियाली और शांत वातावरण के लिए जानी जाती है। डैम देवहा नदी (जिसे कुछ लोग सरयू नदी भी कहते हैं) पर बना है, और इससे बना विशाल जलाशय नानक सागर के नाम से मशहूर है। ये जलाशय 4662 हेक्टेयर में फैला है, जो इसे उत्तराखंड के बड़े और खूबसूरत जलाशयों में से एक बनाता है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 298 मीटर है, और आसपास जंगल, खेत, और छोटी-छोटी पहाड़ियां इसे और भी आकर्षक बनाती हैं।

कैसे पहुंचें? मैं दिल्ली से यहां रोड ट्रिप पर आया था, और विश्वास मानिए, रास्ते का मजा ही अलग था। अगर आप दिल्ली से आ रहे हैं, तो दूरी लगभग 300-350 किलोमीटर है। आप NH9 और NH125 के जरिए रुद्रपुर, सीतारगंज, और खटीमा होते हुए पहुंच सकते हैं।

  • रुद्रपुर से: 50 किमी
  • खटीमा से: 17 किमी
  • सीतारगंज से: 12 किमी

रोड: दिल्ली से बसें और टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं। मैंने रुद्रपुर से लोकल टैक्सी ली थी, जो किफायती थी। रेल: नजदीकी रेलवे स्टेशन खटीमा है (15 किमी दूर), जहां से ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं। हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है (70 किमी), जहां से कैब बुक कर सकते हैं।

रास्ते में तराई के खेत, जंगल, और छोटे-छोटे गांव देखकर आपका मन खुश हो जाएगा। सर्दियों में (अक्टूबर-मार्च) मौसम सुहावना रहता है, और ड्राइविंग का मजा दोगुना हो जाता है। नानकमत्ता का पिन कोड 262311 और फोन कोड 05948 है। GPS पर "Nanak Sagar Dam" सर्च करें, और आप आसानी से पहुंच जाएंगे। अगर आप उत्तर प्रदेश से हैं, तो ये जगह आपके लिए और भी कन्वीनियेंट है, क्योंकि ये यूपी बॉर्डर के करीब है।


नानक सागर डैम का इतिहास: कैसे और कब बना?

नानक सागर डैम की कहानी सिर्फ इंजीनियरिंग का कमाल नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता और इतिहास का एक खूबसूरत मिश्रण है। चलिए, इसकी कहानी स्टेप-बाय-स्टेप जानते हैं।

आध्यात्मिक महत्व: नानकमत्ता का नाम पहले गोरखमत्ता था। ये जगह सिद्ध योगियों का केंद्र थी, जो गुरु गोरखनाथ के भक्त थे। 16वीं शताब्दी में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी यहां आए। उन्होंने सिद्ध योगियों से धार्मिक और आध्यात्मिक चर्चा की और कई चमत्कार किए। गुरु ग्रंथ साहिब में 'सिद्ध-गोष्ट' में इस घटना का जिक्र है। गुरु नानक ने यहां ध्यान किया, लोगों की मदद की, और सच्चाई व सेवा का संदेश दिया। उनकी याद में इस जगह का नाम नानकमत्ता पड़ गया। आज भी यहां नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा है, जो सिख समुदाय के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल है।

डैम का निर्माण: नानक सागर डैम का निर्माण 1962 में पूरा हुआ। ये एक अर्थ डैम है, जिसकी लंबाई 19.20 किलोमीटर है। इसे देवहा नदी पर बनाया गया, और इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई था। तराई क्षेत्र कृषि-प्रधान है, और इस डैम से 39,000 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन की सिंचाई होती है। पानी उत्तराखंड के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों तक जाता है। 1961-1967 के बीच निर्माण के दौरान कई गांव विस्थापित हुए, और डैम ने इस क्षेत्र को बाढ़ से बचाने में मदद की। कुछ स्रोतों में इसे हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट भी बताया जाता है, लेकिन इसका प्राइमरी यूज सिंचाई और पीने के पानी के लिए है।

जब मैं डैम के पास खड़ा था, तो इसकी विशालता देखकर दंग रह गया। नीला-हरा पानी, चारों तरफ हरियाली, और दूर तक फैला जलाशय किसी झील जैसा लगता है। इतिहास जानकर ये समझ आया कि ये जगह आधुनिक विकास और आध्यात्मिकता का अनोखा संगम है।


यहां घूमने के लिए लोग कहां-कहां से आते हैं और कितने आते हैं?

नानक सागर डैम और नानकमत्ता सिख समुदाय के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, और साथ ही नेचर लवर्स के लिए एक हिडन जेम। सालाना लाखों लोग यहां आते हैं।

  • सिख श्रद्धालु: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, और राजस्थान से लोग आते हैं। बैसाखी और गुरु नानक जयंती जैसे फेस्टिवल्स पर यहां भारी भीड़ होती है। मैंने कई पंजाबी फैमिलीज से बात की, जो हर साल बसों और कारों से यहां आती हैं।
  • नेचर लवर्स और टूरिस्ट्स: उत्तराखंड के नैनीताल, हल्द्वानी, रुद्रपुर, और यूपी के बरेली, पीलीभीत जैसे शहरों से लोग वीकेंड ट्रिप के लिए आते हैं।
  • विदेशी और एनआरआई: कुछ एनआरआई सिख फैमिलीज भी आती हैं, खासकर कनाडा और यूके से।

उत्तराखंड टूरिज्म के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में हर साल 6 करोड़ से ज्यादा टूरिस्ट आते हैं। नानकमत्ता और नानक सागर डैम इसमें अहम योगदान देते हैं। लोकल्स का कहना है कि वीकेंड पर 500-1000 लोग और फेस्टिवल टाइम पर 10,000 तक विजिटर्स आ सकते हैं। कोविड के बाद टूरिज्म बढ़ा है, और सर्दियों में माइग्रेटरी बर्ड्स के कारण बर्ड वॉचर्स की संख्या भी बढ़ी है।

लोग क्यों आते हैं?

  • आध्यात्मिक शांति: गुरुद्वारे में प्रार्थना और लंगर का अनुभव।
  • नेचर और एडवेंचर: बोटिंग, बर्ड वॉचिंग, और पिकनिक।
  • फैमिली ट्रिप: शांत और सेफ जगह, जो बच्चों के साथ भी एंजॉय की जा सकती है।

नानक सागर डैम की खूबसूरती और एक्टिविटीज

दोस्तों, अब बात करते हैं इस जगह की रियल ब्यूटी की। नानक सागर जलाशय एक आर्टिफिशियल लेक है, जो डैम से बना है। नीला-हरा पानी, चारों तरफ जंगल, और सूर्योदय-सूर्यास्त का नजारा किसी जादू से कम नहीं। मैंने सुबह वॉक की, और पानी की लहरों की आवाज सुनकर मन को अजीब सा सुकून मिला।

यहां की टॉप एक्टिविटीज:

  1. बोटिंग: डैम पर पैडल बोट और मोटर बोट उपलब्ध हैं। मैंने एक घंटे की बोट राइड ली, और झील के बीच में जाकर फोटोज क्लिक किए। ये फैमिलीज के लिए सेफ और मजेदार है।
  2. बर्ड वॉचिंग: सर्दियों में माइग्रेटरी बर्ड्स जैसे हेरॉन, किंगफिशर, और कोर्मोरेंट आते हैं। मैंने दूरबीन से कई स्पीशीज देखीं। बर्ड वॉचर्स के लिए ये paradize है।
  3. एंगलिंग: फिशिंग लवर्स के लिए डैम के किनारे कई स्पॉट्स हैं।
  4. पिकनिक: फैमिलीज के लिए पिकनिक स्पॉट्स हैं, जहां आप बैठकर खाना खा सकते हैं।
  5. नेचर वॉक: पास में नानकमत्ता फॉरेस्ट है, जहां आप फ्लोरा-फॉना देख सकते हैं।

बेस्ट टाइम टू विजिट: अक्टूबर से मार्च, जब तापमान 10-25°C रहता है। समर में गर्मी और मॉनसून में बारिश से बचें।


नजदीकी अट्रैक्शंस और स्टे-फूड टिप्स

नानक सागर डैम अकेले नहीं है, आसपास कई जगहें घूमने लायक हैं:

  • नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा: डैम से कुछ ही दूरी पर। यहां लंगर फ्री मिलता है, और शांति का अनुभव अद्भुत है।
  • नानकमत्ता फॉरेस्ट: जंगल वॉक और नेचर लवर्स के लिए।
  • पूर्णागिरि टेम्पल: 50 किमी दूर, हिल टॉप पर मां पूर्णागिरि का मंदिर।
  • श्यामलताल: 60 किमी, नीली झील।
  • सीतारगंज: लोकल मार्केट्स और खाने के लिए ढाबे।
  • नैनीताल: 80 किमी, हिल स्टेशन लवर्स के लिए।

कहां रुकें?

  • गुरुद्वारे के पास बजट होटल्स और गेस्ट हाउस।
  • खटीमा और सीतारगंज में अच्छे होटल्स।
  • अगर लक्जरी चाहते हैं, तो रुद्रपुर में रुक सकते हैं।

खाना:

  • गुरुद्वारे का लंगर जरूर ट्राई करें।
  • लोकल ढाबों पर दाल-रोटी, पराठे, और चाय।
  • सीतारगंज में नॉर्थ इंडियन और पंजाबी फूड मिलता है।

मेरी पर्सनल एक्सपीरियंस और टिप्स

मैं यहां दो दिन रहा, और हर पल को जी भरकर जिया। सुबह गुरुद्वारे में प्रार्थना की, फिर डैम पर बोटिंग। शाम को सनसेट देखा, जो मेरे ट्रिप का हाईलाइट था। टिप्स:

  • कैरी: सनस्क्रीन, वॉटर बॉटल, और आरामदायक जूते।
  • गुरुद्वारा रूल्स: सिर ढकें, और शालीन कपड़े पहनें।
  • ईको-फ्रेंडली रहें: प्लास्टिक न फेंकें।
  • विंटर चुनें: फैमिली ट्रिप के लिए बेस्ट।
  • लोकल्स से बात करें: वो आपको छिपे हुए स्पॉट्स बताएंगे।

कॉल टू एक्शन: नानक सागर डैम की सैर का प्लान बनाएं!

दोस्तों, नानक सागर डैम सच में एक ऐसी जगह है, जो आपकी ट्रैवल लिस्ट में होना चाहिए। चाहे आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हों, प्रकृति का आनंद लेना चाहते हों, या फैमिली के साथ वीकेंड ट्रिप प्लान कर रहे हों, ये जगह हर किसी के लिए कुछ न कुछ लेकर आती है। तो अब और इंतजार क्यों?

  • प्लान बनाएं: अपने दोस्तों और फैमिली के साथ आज ही ट्रिप प्लान करें। सर्दियां नजदीक हैं, तो ये बेस्ट टाइम है।
  • मेरा व्लॉग देखें: मेरे यूट्यूब चैनल पर नानक सागर डैम का पूरा व्लॉग चेक करें। लिंक डिस्क्रिप्शन में है!
  • कमेंट करें: नीचे कमेंट में बताएं कि आप कब जा रहे हैं, और क्या आपने पहले नानकमत्ता विजिट किया है?
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तो दोस्तों, बैग पैक करें, कैमरा तैयार रखें, और निकल पड़ें नानक सागर डैम की सैर पर। ये जगह आपके दिल में बस जाएगी, मेरा वादा है! फिर मिलते हैं अगले व्लॉग में, तब तक ट्रैवल करते रहें, एक्सप्लोर करते रहें। नमस्ते!

 

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